सूत्र :तदलिङ्गमेकद्रव्यत्वात्कर्मणः 2/1/21
सूत्र संख्या :21
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : निकलना अग्नि कर्म, कारण और कार्य होने के अनुसार संयोग से, आकाश की सत्ता का प्रमाण नहीं हो सकते। क्योंकि पूर्व ही सिद्ध कर चुके हैं कि कर्म एक द्रव्य के सहारे रहता है और संयोग से उत्पन्न नहीं हो सकता क्योंकि क्रिया मूतिमान द्रव्य ही कर सकता है। आकाश न तो मूर्तिमान है, जो क्रिया करे और वही असमवाय कारण हो सकता है। इसका प्रतिवाद अगले सूत्र से होता है।