सूत्र :तस्मादागमिकम् 2/1/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जबकि वायु का होना अनुमान से सिद्ध है, इसलिए वेद में भी वायु की सत्ता मानी गई है और वायु को द्रव्य गसा है, क्योंकि शब्द वही प्रमाण हो सकता है जिसके अर्थों का होना प्रत्यक्ष व अनुमान से सिद्ध हो जावे। वायु द्रव्य होना अनुमान से सिद्ध है, इसलिए वेद में वायु को नष्ट वस्तुओं (देवताओं) में गिनाया है। वायु का नित्य होना तो वेद में प्रकृति के नित्य होने से सिद्ध है और अनित्य दोनों प्रकार की वायु, जिसका लिंग चाहे अदृष्ट हो, अनुमान और वेद से पाया जाता है।