सूत्र :क्रियावत्त्वा-द्गुणवत्त्वाच्च 2/1/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : क्रिया वाला और गुण गुण वाला होने से वायु द्रव्य है। तात्पर्य यह है कि गुण तथा कर्म के आश्रय नहीं हो सकते, इसलिए ‘‘गुणवत्व’’ तथा ‘‘क्रियावत्व’’ हेतु भी व्यभिचार नहीं। अतएव उक्त हेतुओं से वायु सिद्धि में कोई बाधा नहीं और अद्रव्य का आश्रय होने पर भी गुण कर्म का अद्रव्य होना है। अब वायु का नित्यत्व कथन करते हैं।