सूत्र :अद्रव्यवत्त्वेन द्रव्यम् 2/1/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : वायु द्रव्य है क्यों वह द्रव्य भिन्न का आश्रय है। तात्पर्य यह है कि यद्यपि पृथ्वी आदि की भांति वायु का द्रव्य प्रत्यक्ष हनीं है। तथापि अनुमान द्वारा अर्थात् उसकी सिद्धि हो सकती है जैसे समवाय सम्बन्ध से अद्रव्य अर्थात् गुणकर्म आदि आश्रय होने से घटादि पृथ्वी द्रव्य रूप हैं जैसे स्पर्श तथा क्रिया का आश्रय होने से वायु भी द्रव्य ही है, इसलिए उक्त स्पर्श वायु सिद्धि में लिंग है।
प्रश्न- जो ‘‘अद्रव्य’’ का आश्रय होता है वह द्रव्य ही हो है, यह नियम नहीं, क्योंकि गुण कर्म भी अद्रव्य का आश्रय है परन्तु द्रव्य नहीं?