सूत्र :सामान्यविशेषाभावेन च 1/2/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि द्रव्य गुण कर्म से गुणत्व भिन्न न हो, तो, द्रव्यों में रहने वाला द्रव्यत्व, गुणों में रहने वाला गुणत्व और कर्म में रहने वाला कर्मत्व, निसे (उनकी भिन्नता प्रतीत करते हैं, पृथक-पृथक कैसे जाना जावे?) इसलिए सामान्य और विशेष के न होने से गुणत्व भी नित्य है।