सूत्र :तद्दुष्टज्ञानम् 9/2/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : वह अविद्या दोष खराबी वाले ज्ञान का नाम है। तात्पर्य यह है, कि दुष्ट ज्ञान को अविद्या कहते हैं। अथवा विरूद्धज्ञानका नाम अविद्या है। बदलने वाला ज्ञान अथवा और में और का ज्ञान। इसी प्रकार प्रत्ये प्रकार के दुष्ट ज्ञान का नाम अविद्या है।
प्रश्न- क्या अज्ञान अर्थात् का न होना अविद्या नहीं?
उत्तर- ज्ञान के अनुभव न होने का नाम अविद्या नहीं, किन्तु दुष्ट और विरूद्ध ज्ञान का नाम अविद्या है। इसी वास्ते चार प्रकार की अविद्या बतलाई। सांदेहिक ज्ञान, विरूद्ध ज्ञान, स्वप्न का ज्ञान, अविश्वास योग्य ज्ञान, और बदलने वाला ज्ञान यह सब अविद्या में सम्मिलित है।
प्रश्न- विद्या क्या है?