सूत्र :आत्ममनसोः संयोगविशेषात्संस्काराच्च स्मृतिः 9/2/6
सूत्र संख्या :6
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अतिवद्या अर्थात् विरूद्ध ज्ञान दो प्रकार उत्पन्न होता है। एक इन्द्रिय में किसी प्रकार की खराबी आने से और इन्द्रिय के सहायक में खराबी आने से अविद्या उत्पन्न होती है जैसे थोड़ी रोशनी में, जहां अंधेरा ज्यादा है तो रस्सी में सांप का ज्ञान होता है। ऐसे और भी इन्द्रियों के सहायकों की आवश्यकता से ज्यादा या कम सहायता मिलने के कारण विरूद्ध ज्ञान उत्पन्न होता। दूसरे संस्कार के कारण भी विरूद्ध ज्ञान हो जाता है जैसे संखिया अथवा अफीम बुरी वस्तु है, किन्तु जिनका स्वभाव हो वह उनको अपने जीवन का कारण समझते हैं। इस प्रकार और स्थानों पर विचार लेना, कि प्रत्येक प्रकार की अविद्या इन्द्रिय और संस्कार की खराबी के कारण उत्पन्न होती है।
प्रश्न- अविद्या को लक्षण क्या है?