सूत्र :असतः क्रियागुणव्यपदेशा-भावादर्थान्तरम् 9/1/3
सूत्र संख्या :3
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : सत्ता से अभाव किस प्रकार हो जाता है उसके उत्तर में लिखते हैं, कि जिस प्रकार घड़े के नाश से पहले घड़ा पड़ा हुआ, चलता हुआ नजर आता है और उसके रूप और आकार का भी ज्ञान होता या नाश के पश्चात् ऐसा नहीं होता। इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि घड़े का अभाव हो गया, क्योंकि जो वस्तु उपस्थित है उसके गुण का ज्ञान होता है और उस समय यह कहते हुए भी नहीं सुनते, कि इस घड़े को ले चलो यह घड़ा बड़ा खूबसूरत है। जिससे उसका अभाव स्पष्ट प्रतीत होता है। प्राग्भाव और विध्वंसाभाव को बतला कर अब अन्योऽन्याभाव भी अर्थात् एक का अभाव दूसरी वस्तु में है, इसको साबित करते हैं।