सूत्र :भूयस्त्वाद्गन्धवत्त्वाच्च पृथिवी गन्धज्ञाने प्रकृतिः 8/2/5
सूत्र संख्या :5
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : गन्ध जिस इन्द्रिय से जानी जाती है, उसकी प्रकृति अर्थात् उत्पादन कारण पृथिवी है। क्यों उपादान कारण जमीन है? इस प्रश्न के उत्तर में कहते हैं, गन्धवती होने से, क्योंकि बिना गन्ध के गन्धवती नहीं हो सकती। गन्धवाती होने से ध्राणेन्द्रिय द्वारा स्पष्ट अनुभव होता है। इस नियम से स्पष्ट प्रमाणित है, पृथिवी गन्धवती है।
व्याख्या :
प्रश्न- शरीर के अन्य अवयव गन्ध का ग्रहण नहीं करते केवल नासिका ही ग्रहण करती है इसका क्या कारण है?
उत्तर- यद्यपि और जगह शरीर के अवयवों में अन्य इन्द्रियों दबाने की शक्ति नही, किन्तु नासिका में पृथिवी के परमाणुओं द्वारा यह शक्ति है अर्थात् अन्य इन्द्रियों को दबाने योग्य गौणिक अवयवों से बने होने के कारण नासिका में गन्ध ग्रहण करने की शक्ति है।