सूत्र :कारणायौगपद्यात्कारणक्रमाच्च घटपटादिबुद्धीनां क्रमो न हेतुफलभावात् 8/1/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ- घड़े कपड़े आदि के ज्ञान के प्रसंग को जो कार्य और कारण के अधिकार में दिया है यह युक्ति ठीक नहीं। तात्पर्य यह है कि ज्ञान के प्रसंग कारण कार्य का प्रसंग के कारण से नहीं, किन्तु मन का गुण है, कि वह एक समय में दो ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। इस वास्ते न तो ज्ञान के कारण एक साथ उत्पन्न हो सकते हैं औरनहीं एक साथ दो ज्ञान उत्पन्न हो सकते हैं। मन के बिना ज्ञान होना असम्भव है। और मन एक समय में एक ज्ञान प्राप्त करना है। इसलिए ज्ञान प्राप्त करता है इसलिए ज्ञान का प्रसंगगानानुरूप होना उनके कारण कार्य का प्रसंग प्रमाणित नहीं कर सकता। इसके लिए प्रसंग की युक्ति हेतु नहीं, किन्तु हेत्वाभास है।
आठवें अध्याय का पहला आन्हिक समाप्त।