सूत्र :गुणकर्मसु गुणकर्माभावा-द्गुणकर्मापेक्षं न विद्यते 8/1/8
सूत्र संख्या :8
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : गुण, कर्म में गुण कर्म कके न होने से उनके ज्ञान में गुण कर्म की आवश्यकता नहीं, क्योंकि गुण में विशेष गुण के न होने से और कर्म में किसी विशिष्ट कर्म का ज्ञान नहीं होता। इससे स्पष्ट प्रतीत हहै, कि कर्म के ज्ञान में किसी गुण कर्म की जरूरत नहीं।
प्रश्न- गुण कर्म के अनुभव होने से गुण ज्ञान और कर्म ज्ञान होकर उन गुण कर्म की आवश्यकता नहीं?