सूत्र :संयोगविभागयोः संयोगविभागा-भावोऽणुत्वमहत्त्वाभ्यां व्याख्यातः 7/2/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार अणु और महत् अर्थात् छोटे और बड़े में विशेषता पार्द जाती है उसमें परिमाण के गुण होने से दूसरा परिमाण नहीं रहता और नहीं कोई गुण रह सकता है। ऐसे ही संयोग और विभागादि नहीं रहे।