सूत्र :कर्मभिः कर्माणि गुणैर्गुणा अणुत्व-महत्त्वाभ्यामिति 7/2/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्म सदैव किसी कार्मिक (हरकत करने वाली) वस्तु में तो रहता है परंतु कर्म में नहीं रहता और गुण द्रव्य में तो रहते हैं किन्तु गुणों में गुण नहीं होते। जिस प्रकार छोटे अथवा बड़े परिमाण में कोई गुण नहीं होता। तात्पर्य यह है, कि गुण नहीं होता। कि गुण में गुण और कर्म में कर्म रहना असम्भव है।
प्रश्न- अवयव और अवयवी में संयोग किस प्रकार नहीं।