सूत्र :अविद्या च विद्यालिङ्गम् 7/1/21
सूत्र संख्या :21
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अविद्या विद्या का लिंग होता है, क्योंकि अविद्या से विदित होता है कि वास्तव में विद्या है जिसकी विरोधनी होने से ये अविद्या कहाती है इसी प्रकार आंवले आदि में जो छोटे होने का ज्ञान है वह मिथ्या ज्ञान है, परन्तु यह सिद्ध होता है कि छोटी कोई वस्तु है जिसके विरूद्ध होने से इस ज्ञान को असत् ज्ञान कह सकते हैं, इसलिए मिथ्या ज्ञान कहनें से सत्य ज्ञान का विश्वास हो जाता हैं, अतः आंवला आदि छोटे नहीं। इससे स्पष्ट है कि कोई और वस्तु छोटी है अब आकाश और आत्मा का परिमाण बतलाते हैं-