सूत्र :कर्मभिः कर्माणि गुणैश्च गुणा व्याख्याताः 7/1/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : न तो कर्म वाले हैं, अर्थात् कर्म में कर्म नहीं होता किन्तु सत्रिय वस्तु में क्रिया होती हैं, इसी प्रकार गुण में गुण नहीं होता किन्तु द्रव्य में गुण रहता है जहां कहीं ऐसा प्रयोग किया जाता है वहां अपेक्षा वा उपचार से कहा जाता है।
प्रश्न- ‘‘बड़ी क्रिया है, छोटी क्रिया है, बड़ा गुण है, छोटा गुण है’’ इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग से कर्म में परिमाण गुण पाया जाता है, ऐसे ही गुण कर्म दोनों पाये जाते हैं?