सूत्र :अणुत्वमहत्त्वाभ्यां कर्मगुणाश्च व्याख्याताः 7/1/16
सूत्र संख्या :16
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे छोटे बड़े में दूसरी छोटाई नहीं है ऐसे ही कर्म और गुणों में गुण नहीं। जहां कोई प्रयोग ऐसे शब्दों का करता है जिससे ऐसा पाया जाता है उसकास व्यवहार या तो उपचार से होता हैया अपेक्षा से होता है।
प्रश्न- क्या जिस प्रकार छोटे बड़े हैं, छुटाई बड़ाई गुण नहीं, इसी प्रकार स्थूल और सूक्ष्म में भी नहीं?