सूत्र :नित्यं परिमण्डलम् 7/1/20
सूत्र संख्या :20
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : परि मण्डल अर्थात् गोल परमाणु जिससे यह सारा जगत् बनता है, अथवा चारों ओ घेर रहे हैं, वे नित्य हैं। इस जगह स्पष्टतया बतला दिया गया कि परमाणु गोल है, और जहां गोल होगा उसका विभाग हो सकता हैद्व जिसके भीतर आकाश नहीं उसमें विभाग भी नहीं हो सकता इसलिए वह नित्य है।
प्रश्न- यदि आंवला, बेल और गन्न आदि में जो छोटे होने का व्यवहार किया जाता है वह वास्तव में सत्य नहीं है, तो इनके वास्तव में सत्य होने का क्या प्रमाण है?