सूत्र :अणुत्वमहत्त्वयो-रणुत्वमहत्त्वाभावः कर्मगुणैर्व्याख्यातः 7/1/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे गुण और और कम में छोटाई बड़ाई नहीं है, ऐसे ही छोटे और बड़े परिमाण में छोटाई बड़ाई नहीं, किन्तु छोटी बड़ी वस्तु की छोटाई और बड़ाई की अपेक्षा सेवा उपचार से प्रयोग होता है।
प्रश्न- गुणों में गुण है, यदि न होता तो किस प्रकार कहते है कि (बड़ा शब्द हैं) (एक शब्द हैं) (दो शब्द हैं) चैबीस गुण हैं। इस प्रकार के व्यवहार से परिमाण आदि यदि न होता तो कैसे कहा जाता कि शीघ्र चलता है, इसलिए अणु और महत्व में गुण समझना चाहिए।