सूत्र :एककालत्वात् 7/1/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : छोटा और बड़ा होना दोनो एक काल में विदित होते हैं, यथा एक स्थान पर एक आंवला, एक आम और एक घड़ा रक्खा हुआ है, तो तत्काल ही देखने से आम से बड़ा और घड़े से छोटा दीख पड़ता है, परन्तु बड़ाई और छोटाई जो एक दूसरे से विरूद्ध गुण है, उनउनका एक वस्तु में में रहना सम्भव ही नहीं। इसलिए बड़ाई को सामग्री के विद्यान होने अर्थात् बहुत से परमाणुओं के संयोग होने से और छुटाई के कारण परमाणुओं में संयोग के अभाव के होने से वे बड़े हैं, उनमें जो छोटेपन का व्यवहार किया जाता है वह अपेक्षाकृत है।
प्रश्न- बड़ापन जान करने में बड़ी युक्ति कौन सी है?