सूत्र :एकद्रव्यत्वात् 7/1/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जितने स्वाभाविक गुणों को छोड़कर नैमित्तिक गुण भी हैं, उनके अतिरिक्त जो संयोग से उत्पन्न् होते हैं, ये सब किसी न किसी द्रव्य में रहने वाले हैं। जैसे पृथिवी में गन्ध स्वाभाविक गुण है, रूप,रस स्पर्श अग्नि, जल और वायु के गुण हैं और सूक्ष्म वस्तु स्थूल के भीतर द्रव्य के गुण प्रत्येक स्थूल द्रव्य में रह सकते हैं इसलिए स्थूल वस्तु में यद्यपि अपने और सूक्ष्म वस्तु के गुण सर्वदा पाये जाते हैं परन्तु तो भी वे पाकज कहलायेंगे। वास्तव में एक द्रव्य में एक ही गुण रहता है। अब परिणाम की परीक्षा करते हैं। यद्यपि गुणों की व्याख्या में संख्या परिमाण से पूर्व ही परिगणन है, परन्तु यह विचार करके कि संख्या में बहुत आक्षेप है परिमाण प्रत्येक स्थल पर सिद्ध है, इसलिए परिमाण की ही पहिले परीक्षा करते हैं।