सूत्र :अनित्येष्वनित्या द्रव्यानित्यत्वात् 7/1/5
सूत्र संख्या :5
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जल आदि अनित्य होने में उनके गुण भी अनित्य होंगे, क्योंकि आश्रय के नाश होने से वे गुण भी नष्ट हो जायेंगे। जबकि आश्रय अनित्य है तो उसका नष्ट होना भी अवश्यक है, और जब आश्रय का नाश हो गया तो उनमें रहने वाले गुण कहां रहेंगे?
प्रश्न- कार्य रूप पृथिवी में भी रूप आदि गुण के मिलने से उत्पन्न होते हैं और नष्ट भी होते हैं, तो वे किस प्रकार आश्रय के नष्ट होने से नष्ट होने के योग्य होंगे?