सूत्र :एतेन नित्येषु नित्यत्वमुक्तम् 7/1/3
सूत्र संख्या :3
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो रूप आदि गुणों के अनित्य होने में उनके आश्रय के अनित्य होने का हेतु दिया गया है तो इस हेतु से सिद्ध होता है कि जब द्रव्य, जिसमें ये गुण रहते हैं, नित्य तो उस अवस्था में रूप आदि चारों गुणों को नित्य कहा गया हैं, आशय यह है कि आश्रय के नित्य होने से नित्य और अनित्य होने से गुण अनित्य है।
प्रश्न- क्या पृथिवी के परमाणुओं में ही रूप आदि गुण होते हैं या और द्रव्यों में भी?