सूत्र :अदृष्टाच्च 6/2/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ- अदृष्ट से भी दोष उत्पन्न होते हैं। यद्यपि सामान्यतया अदृष्ट एक साधारण कारण है परन्तु प्रायः अदृष्ट असाधारण कारण भी हो जाता है। जिस प्रकार पूर्व जन्म में जिसने स्त्री के विषयों को अनुभव किया है। उनको युवावस्था में स्त्रियों से प्रेम उत्पन्न हो जाता है, और जिसने पूर्व जन्म में सर्प से कष्ट पाया है उसको इस जन्म में सर्प से द्वेष उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न- इस जन्म ही के होने वाले संस्कार से राग होता है पूर्व जन्म की क्या आवश्यकता है?
उत्तर- इस जगह होने वाला संस्कार कारण नहीं हो सकता। जो हुआ नहीं उसका कारण में कोई प्रमाण नहीं इसलिए अदृष्ट से मानना ठीक है। इस राग-द्वेष का और भी कारण बताते हैं।