सूत्र :अर्थान्तरं च 6/2/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ- यदि सत्यता से कमाया हुआ धन है तो भी भाव दुष्ट होने से जो दान है वह भी अशुचि है। इसी प्रकार जल का दोष अशुद्ध कर देता है। इस प्रकार दान लेने में दोष का होना स्पष्ट है।
प्रश्न- क्या उपरोक्त बातों के अतिरिक्त धर्म का कोई और भी कारण है?