सूत्र :तन्मयत्वाच्च 6/2/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ- राग-द्वेष से उत्पन्न होने वाले द्वेषों का दृढ़ संस्कार मन में उत्पन्न होता है जिसके कारण जो काम में फंसा हुआ मनुष्य है उसको सारा संसार, स्त्री न होने पर भी, स्त्री ही दीख पड़ता है, वा जिस किसी को सर्प का संस्कार उत्पन्न हो गया है जो अन्धेरे में हर जगह सांप भूत ही दीख पड़ते हैं, ऐसी अवस्था को तन्मय कहते हैं।
प्रश्न- इसका कोई और भी कारण हैं?