सूत्र :असति चाभावात् 6/2/9
सूत्र संख्या :9
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ- यदि जिसको खिलाया जावे या खिलाने वाला यम से युक्त हो परन्तु जो दान दिया हो वह श्रद्धा युक्त न होने से अशुद्ध हो तब भी वह धर्म अर्थात् मोक्ष का साधन नहीं इसलिये जो दान दिया जावे उसका सत्यता से कमाया हुआ होना और सुकर्मी को दान देना ही धर्म के लिये कहाता है। यहां दान और भोजन सब अच्छे कर्मों के लिये कहते हैं अर्थात् सत्यता से कमाया हुआ धन ही दान देने और लेने योग्य है।
प्रश्न- प्रवृति के सहायक जो राग-द्वेषादि दोष हैं उनका कारण क्या है?