सूत्र :गुणवैधर्म्यान्न कर्मणां कर्म 1/1/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार द्रव्य और गुण द्रव्य और गुण को उत्पन्न करते हैं कर्म इस बात में इन से भिन्न हैं, अर्थात् कर्म से कर्म उत्पन्न नहीं हो सकता, यह बता चुके हैं।
व्याख्या :
प्रश्न- जब पहले बता चुके हैं तो पुनः क्यों कहा?
उत्तर- किससे कौन उत्पन्न होता है इसका यहां प्रसंग था, उस अतः प्रसंग वश कहा। अब आगे नैमित्तिक गुणों की उत्पत्ति के कारण द्रव्य को बताते हैं।