DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :तथा गुणः 1/1/19
सूत्र संख्या :19

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जिस प्रकार द्रव्य कारण है उसी प्रकार गुण भी कारण होते हैं। परन्तु इतना है कि द्रव्य समवाय कारण होते हैं और गुण असमवाय कारण होता हैं। अर्थात् द्रव्य का नित्य सम्बन्ध होता है और और गुण का अनित्य। कारण आशय यह है कि द्रव्यत्वतो असंसुक्म और संयुक्त दोनों अवस्थाओं में बना रहता है, परन्तु गुण संयुक्त अवस्था में होता है तो कारण बनता है। अर्थात् गुण असंयुक्त अवस्था में कारण नहीं होगा। आशय यह है कि जब-जब दो वस्तुओं के संयोग से एक वस्तु बनेगी तो संयोग में जो गुण है उसका कारण होगा। रूप, रस, गन्ध, स्पर्श संख्या; परिमाण और पृथक्त्व आदि एक वस्तु में रहने वाले गुणों का कारण असमवाय होगा। अग्नि के संयोग से जो पारे में कर्म और सोने के पिघलने और बनने आदि की क्रिया होती है उसका भी असमवाय कारण है। कहरं केवल गुण ही द्रव्य, कर्म, गुण के आरम्भ का कारण होता है। इसी प्रकार समयानुसार विचार करना चाहिए।