DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :संयोगविभागवेगानां कर्म समानम् 1/1/20
सूत्र संख्या :20

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : संयोग, विभाग और वेग से चलने का कारण कर्म है। जिस द्रव्य में कर्म उत्पन्न होता है, उसका जिनसे पूर्व में मेल था, पहले उनसे पृथकता उत्पन्न होती है। अर्थात् जिस कमान से पहले तीर मिला हुआ था, जब तीर में क्रिया उत्पन्न हुई तो कमान से पृथक् हो गया और फिर तेजी से चला, फिर अपने लक्ष्य पर जाकर मिल गया। एक ही कर्म ने तीन गुणों को उत्पन्न किया। पूर्व यह बता चुके हैं कि कर्म से कर्म की उत्पत्ति नहीं होती। अगेले सूत्र में यह बताते हैं कि कर्म द्रव्य की उत्पत्ति नहीं होती।