DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
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सूत्र :द्रव्याणां द्रव्यं कार्यं सामान्यम् 1/1/23
सूत्र संख्या :23

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : बहुत से कारण द्रव्यों से मिलकर एक कार्य द्रव्य उत्पन्न होता है। जैसे बहुत से सूत के तार मिलने से एक कपड़ा बन जाता है। अब तार द्रव्य है और कपड़ा भी द्रव्य है खांड और पानी मिलाकर शरबत बन जाता है अतः बिना संयोग के कोई वस्तु उत्पन्न नहीं हो सकती।

व्याख्या :
प्रश्न- जीवात्मा और प्रकृति को उत्पत्ति किन वस्तुओं के संयोग से हुई? उत्तर- सत्ता तीन प्रकारों के भीतर आ जाती है। वे तीन प्रकार ये हैं नित्य, अनित्य और असम्भव। नित्य पदार्थ अपनी सत्ता के लिए किसी की अपेक्षा नहीं रखता, उसका नाश तीन काल में नहीं होता। अनित्य पदार्थ अपनी सत्ता में दूसरे चेतन की अपेक्षा रखता है, उसकी उत्पत्ति और नाश दोनों सम्भव हो। असम्भव जिसका होना किसी प्रकार सम्भव न हो जहां कहीं उत्पत्ति और कार्य कारण की चर्चा हो, वहां अनित्य पदार्थ को समझना उचित है। जीव और प्रकृति नित्य हैं अतः उत्पत्ति की सम्भावना से बाहर हैं। प्रश्न- एक बड़े कपड़े को फाड़कर हम उसके चार कपड़े बनाते है अब ये छोटे कपड़े तो संयोग से नहीं बने? किन्तु वियोग से बने हैं। उत्तर- संपूर्ण कपड़ा जिन अवयवों के संयोग से बनाओ उसकी अपेक्षा वियोग से बना हुआ विदित होता है। वास्तव में टुकड़ा भी तारों के संयोग से बना है।