सूत्र :निष्क्रियाणां समवायः कर्मभ्यो निषिद्धः 5/2/23
सूत्र संख्या :23
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो क्रिया से शून्य गुण कर्म हैं उनका द्रव्य के साथ केवल समवाय सम्बन्ध होता है और वह कर्म से उत्पन्न नहीं होता क्योंकि उसकी उत्पत्ति ही नहीं संयोग आदि सम्बन्ध से उत्पन्न होने वाले सम्बन्ध कर्म पर निर्मर है अर्थात् कर्माधीन हैं।
प्रश्न- यदि अमूत्र्त होने से गुण कर्म समवाय कारण नहीं होते तो गुणों से गुण और कर्म कैसे उत्पन्न होते हैं क्योंकि समवाय कारण के बिना कार्य उत्पन्न ही नहीं हो सकता?