DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :दिक्कालावाकाशं च क्रियावद्वैधर्म्यान्नि-ष्क्रियाणि 5/2/21
सूत्र संख्या :21

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : क्रिया एक देश में रहने वाली परन्तु में होती है। परन्तु समय दिशा और आकाश अनन्त हैं इसलिए उनमें क्रिया गुण नहीं अर्थात् चल फिर नहीं सकते। ‘‘च’’शब्द से परमात्मा भी अनन्त होने से क्रिया नहीं करते ऐसा ज्ञात होता है। प्रश्न- जीवात्मा क्रिया करता है वा नहीं? उत्तर- जीवात्मा शान्त है इसलिए उसमें क्रिया होना सम्भव नहीं है। जहां आत्मा कापे क्रिया से रहित बतलाया है वहां परमात्मा जानना, जहा सत्रिय हो वहां जीवात्मा जानना। प्रश्न- गुण और कर्म में भी क्रिया है वा नहीं?