DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :एतेन कर्माणि गुणाश्च व्याख्याताः 5/2/22
सूत्र संख्या :22

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जिस प्रकार अनन्त और निराकार होने से आकाश, काल, दिशा और परमात्मा से क्रिया से शून्य हैं इसी कारण गुण और कर्म भी क्रिया से शून्य है क्योंकि गुण और कर्म का भी उसमें गति किस प्रकार हो सकती है? प्रश्न- यदि गुण कर्म क्रिया शून्य है तो उनका द्रव्य से क्या सम्बन्ध है वा संयोग सम्बन्ध हैं समवाय? सम्बन्ध है तो वह कर्म पर निर्भर है?