सूत्र :द्रव्यगुणकर्मनिष्पत्तिवैधर्म्यादभावस्तमः 5/2/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : द्रव्य गुण और कर्म इन तीनों के गुणों से रहित होने से अन्धेरा केवल प्रकाश का अभाव है, क्योंक जिस द्रव्य में रूह रहता हैं उसमें स्पर्श भी होता है। स्पर्श से रहित रूप वाला पदार्थ कोई द्रव्य है ही नहीं। अन्धकार का रूप तो दृष्टि होता है परन्तु स्पर्श पाया नहीं जाता। इसलिए द्रव्य ही नहीं है।
व्याख्या :
प्रश्न- हम मानते हैं, कि अन्धकार दसवां द्रव्य है?
उत्तर- नौ से अधिक द्रव्य नहीं हैं, और नील रूप दूसरे के आधार है जो अन्धेरे में पाया जाता है इसलिए द्रव्य नहीं और गुण भी नहीं क्योंकि उसमें कालापन पाया जाता है और गुण होता ही नहीं।
प्रश्न- फिर छाया के चलने का क्या कारण है?