सूत्र :एक-द्रव्यमगुणं संयोगविभागेष्वनपेक्षकारणमिति कर्म लक्षणम् 1/1/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : एक द्रव्य अर्थात् द्रव्य के सहारे रहेने वाला ही गुण न रखता हो, संयोग विभाग बिना किसी दूसरे की अपेक्षा के कारण हो अर्थात् स्वयं ही संयोग और विभाग का कारण हो। यह कर्म का लक्षण है। गुण और कर्म में भी भेद हो यह है कि गुण संयोग विभाग का कारण नहीं होता। और कर्म कारण होता है। दूसरे जिस प्रकार संयुक्त द्रव्य संयोग आदि गुण कइ द्रव्यों के सहारे रहते हैं ऐसे कर्म नहीं रहता, किन्तु वह एक ही के सहारे रहता है अर्थात् उसका प्रभाव एक ही पर पड़ता है। वह विशेषता कर्म में है।