सूत्र :तदनारम्भ आत्मस्थे मनसि शरीरस्य दुःखाभावः संयोगः 5/2/16
सूत्र संख्या :16
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अभ्यास वैराग्य द्वारा गन्धदि विषयों में मानस वृत्ति के अभाव से दुःखभाव का नाम योग है। अर्थात् जब अभ्यास वैराग्य की दृढ़ता से गन्धदि विषयों में आत्मा की इच्छा का अभाव हो जाता है तब इच्छा के अधीन उत्पन्न होने से चित्त की ईश्वर स्वरूप में स्थिति होना ही योग है।