सूत्र :वैदिकं च 5/2/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पानी के भीतर जो आकाश होता है उसमें तेज का होना वेदों के प्रमाण से भी सिद्ध होता है। जबकि वेदों से पता लगता है और आज कल भी लोग बनाकर देख सकते हैं तो किस प्रकार कहा जावे कि आकाश के रहने वाले पानियों में अग्नि नहीं है।
प्रश्न- बिजली की उत्पत्ति किस प्रकार हुई है?