सूत्र :तद्विशेषेणादृष्टकारितम् 5/2/2
सूत्र संख्या :2
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : भूकम्प आदि जो पृथिवी में असाधारण क्तियायें होती हैं उनका कारण जीवों के अदृष्ट के अनुसार ईश्वरीय चेष्टा है, क्योंकि भूकम्प से जीवों को कष्ट पहुंचता है। और जिस किसी को उससे लाभ पहुंचता है उनके पूर्व जन्म के किये हुवे कर्म से उत्पन्न हुआ अदृष्ट फल ही उसका कारण होता है। और वह अदृष्ट फल ईश्वर के नियम के अनुसार ही होता है। आशय यह है, कि जिस कर्म की प्रेरणा और किसी वस्तु के गिरने से न हो और उससे जीवों को किसी प्रकार हानि लाभ अवश्य पहुंचता है, इसलिये उस का कारण अदृष्ट ही मानना चाहिये। अदृष्ट के अतिरिक्त और किसी से जीवों को सुख व दुःख नहीं मिल सकता।
प्रश्न- वर्षा में जो पानी ऊपर से गिरता है, उस में जो कर्म है उस का क्या कारण मानोगे?