सूत्र :नोदनापीडनात्संयुक्तसंयोगाच्च 5/2/6
सूत्र संख्या :6
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : बलवान् वायु की प्रेरणा से पानी के भाग पृथक्-पृथक् होकर किरणों और वायु के संयोग से उड़ने लगते हैं या किरणों में जो व्यापक परमात्मा हैं उसके संयोग से किरणों के भीतर यह शक्ति आती है कि वह अपने अधिकरण वा भण्डार की आर चलें। इसी प्रकार सूर्य की किरणें परमात्मा की नियम रूप शक्ति से प्रेरणा पाकर पानी को पृथक करके तीव्र वायु के साथ मिलकर, ऊपर ले जाती है जैसे उष्ण जल को वायु और अग्नि मिलकर उड़ा ले जाती है और वह भाप बनकर उड़ता हुआ प्रत्यक्ष दिखाई देता है। ऐसे ही सूर्य की किरणे पानी को ऊपर ले जाती हैं।
प्रश्न- जो पानी वृक्षों की जड़ में डाला जाता है वृक्ष के भीतर से ऊपर कैसे चला जाता हैं यहां न प्रयत्न है और न उद्घाटन है?