सूत्र :नाड्यो वायु-संयोगादारोहणम् 5/2/5
सूत्र संख्या :5
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पानी यद्यपि स्वाभाविक रूप से नीचे की ओर बहने वाला है और उसमें सूर्य की किरणों से, जो कि वायु के साथ मिलकर कार्य करती हैं, ऊपर जाता है। ग्रीष्म ऋतु में वायु के साथ मिली हुई सूर्य की किरणें ही पानी को ऊपर की औ र ले जाती हैं। जब सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन हो जाता है, तो दूर हो जाने के कारण किरणें तिरछी होकर निर्बल पड़ने लगता हैं जिससे पानी बरसने लगता है आशय यह है कि सूर्य की किरणों और वायु के संयोग से पानी ऊपर जाता है, संयोग के न रहने से और भारी होने से नीचे बिर जाता है। संयोग का नाश बिजली के कारण प्रायः होता है।
प्रश्न- सूर्य की किरणों में यह शक्ति कहां से आई, कि वह पृथिवी के पानी को ले जाये?