सूत्र :अपां संघातो विलयनं च तेजःसंयोगात् 5/2/8
सूत्र संख्या :8
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पानी इस रीति पर जमकर बर्फ का हिम बन जाता है कि ज बवह तेज् अर्थात् बिजली से रोके जाने पर पानी के परमाणु परस्पर मिलते तो उस द्वयणुक में द्रवत्व को उत्पन्न नहीं करते। इस द्रवत्य से पृथक् द्वयणुओं से बर्फ और ओल बन जाते हैं जिससे उनमें ठोसपन, बहने के स्थान में, उत्पन्न होजाता है।
व्याख्या :
प्रश्न- इसी प्रकार ओले वा बर्फ के पानी होने में वा पानी उत्पन्न हुए होने में क्या प्रमाण है?
उत्तर- ओले बर्फ नष्ट होकर पानी बन जाते हैं इससे स्पष्ट विदित है कि वे पानी से बनते हैं और उसी में मिल जाते हैं।
प्रश्न- यदि तेज के कारण पानी का बर्फ और ओले बनना मान भी लिया जावे हो फिर वे पानी कैसे बनेंगे।
उत्तर- यह भी तेज के कारण से होता है कि बर्फ और ओले बनाने वाला तेज बर्फ और ओले बनाने वाले परमाणुओं में तीव्र प्रभाव डालता है तो उससे क्रिया उत्पन्न होती है, और उस क्रिया से विभाग उत्पन्न हो जाता है और उससे बनने वाले संयोग का नाश हो जाता है, इसी प्रकार ओलों और बर्फ के टुकड़ों का नाश हो जाता है, जिससे द्रवयत्व के विरोधनी शक्ति के नाश होने से पुनः द्रवत्व उत्पन्न होकर पानी हो जाता है। इस प्रकार पानी में बर्फ और ओलों के सम्मिलित हो जाने से, दिव्य तेज का काम ही कारण है।
प्रश्न- उसमें बलवान तेज सम्लिति हो गया इसमें क्या प्रमाण है?