सूत्र :प्रयत्नाभावे प्रसुप्तस्य चलनम् 5/1/13
सूत्र संख्या :13
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : सोये हुए मनुष्य के शरीर में जो क्रिया होती है वह प्राण वायु के कारण होती है और जीवात्मा का कर्म नहीं होता। इसी प्रकार उन्मत्त मनुष्य, जो जीवित रहने पर भी ज्ञान के बिना ही हाथ-पावों को हिलाता है, बिना प्रयत्न विशेष के करता है। आशय यह है, कि इस प्रकार की क्रिया प्राण वायु के कारण समझनी चाहिए। इसमें प्रयत्न विशेष का विचार करना ठीक नहीं। इसके सम्बन्ध में और भी उदाहरण देते हैं।