DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

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सूत्र :हस्तकर्मणा दारककर्म व्याख्यातम् 5/1/11
सूत्र संख्या :11

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : ऊखल में मूसल गिरने से जो हाथ में क्रिया होती है, क्योंकि वह संस्कार के कारण होती है, इसलिए वह पाप पुण्य का कारण नहीं होती। उसका उदाहरण यह है, कि यद्यपि बालक के हाथ पांव आत्मा की शक्ति से कार्य करते हैं परन्तु उसके चित्त में कोई इच्छा इस प्रकार की नहीं जिसमें किसी को हानि लाभ पहुंचाने का विचार हो, इसलिए उसके कर्मों को पाप पुण्य के कारण पाप पुण्य का कारण नहीं होतीं। आशय यह है, कि प्रयत्न भी दो प्रकार का होता है-एक वह जिसमें दूसरों को हानि लाभ पहुंचाने का विचार हो, वह पाप पुण्य का कारण होता है। दूसरे जिसमें हानि लाभ पहुंचाने का विचार न हो, स्वभाव के अनुसार चेष्टा होती हो, जैसे छोटे से बालक का हाथ-पांव चलना, तो वह पाप पुण्य का कारण नहीं होगी।

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