सूत्र :नोदनविशेषादुदसनविशेषः 5/1/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो आत्मा के प्रयत्न से विशेष क्रिया उत्पन्न होती है जिससे प्रेरित हुई गेन्द ऊपर जा रही है, वह अधिक वेग वाली हो तो उस चीज से दूर तक ऊंची चली जाती है। यदि वह क्रिया न्यून है तो चीज कम ऊंची जाती है। अधिक वा न्यून वेग के भारी और हल्का होने पर निर्भर है, और क्रिया की न्यूनाधिकता से सम्बन्ध रखती है। हल्कह चीज अधिक क्रिया से बहुत ऊंची जावेगी, उसी क्रिया से भारी चीज कम ऊंची जावेगी। जो चीज बहुत ही हल्की हो वह ऊंची कठिनता से जावेगी। अब इस अवस्था को दिखाते हैं कि जब प्रयत्न होता है और उससे पाप पुण्य नहीं होता, क्योंकि पाप पुण्य आत्मा के प्रयत्न से ही किए जाते हैं, परन्तु यदि आत्मा संस्कार आत्मा की उत्पन्न करे और प्रयत्न हो तो वह क्रिया यद्यपि आत्मा की उत्पन्न की हुई है परन्तु पुण्य पाप का कारण नहीं होती। उसका दृष्टान्त देते हैं।