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वैशेषिक दर्शन-COLLECTION OF KNOWLEDGE
DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :नोदनविशेषाभावान्नोर्ध्वं न तिर्यग्गमनम् 5/1/8
सूत्र संख्या :8

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : विशेष भाव से प्रयत्न के न होने से ऊपर नीचे नहीं जाती अर्थात् जब तक क्रिया उत्पन्न करने वाले की क्रिया रहती है तब तक गेन्द ऊपर चली जाती है, और जहां वह क्रिया समाप्त होती है वहां लुड़कती हुई नीचे गिरती है। परन्तु वृक्ष से जो फल गिरता है, और पक्षी जो ऊपर से थककर गिरता है, और तीर जो कमान से चलकर किसी दूसरें स्थान पर गिरता है उनमें विशेष प्रयत्न का संयोग न होने से ऊपर चलना और नीचे गिरना होता। जहां-जहां विशेष प्रयत्न से सम्बन्ध होगा, वहां-वहां वस्तु लुड़की हुई चलेगी। जहाँ पृथ्वी के आकर्षण से भारी होने के कारण वहां सीधो गिरेगी, इसका यही तात्पर्य है। प्रश्न- वह विशेष प्रकार की क्रिया, जिससे इस प्रकार का कर्म होता है किस प्रकार उत्पन्न होती है?