DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
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सूत्र :द्रव्याश्रय्यगुणवान्संयोगविभागेष्वकारणमनपेक्ष इति गुणलक्षणम् 1/1/16
सूत्र संख्या :16

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : द्रव्य के सहारे रहने वाला हो, अर्थात् बिना द्रव्य के न रह सके, जिसमें कोई अन्य गुण न हो और वस्तुओं के संयोग के संयोग और वियोग में कारण न हो। अपेक्षा रहित हो अर्थात् क्रिया और विभाग की अपेक्षा न रखता हो। यही गुण गा लक्षण है। यद्यपि ‘‘द्रव्य में रहने वाला’’ कहने का लक्षण हो जाता परन्तु द्रव्य के सहारे कर्म रहता है इसलिए कहा गया कि ‘‘कोई गुण न रखता हो, जब इत्ना कहने पर लक्षण ठीक नहीं हुआ, क्योंकि कर्म में भी गुण नहीं है, अतः लक्षण में अति व्याप्ति दोष आ गया। इसलिए कर्म यह कहना पड़ा कि ‘‘संयोग विभाग में कारण न हो’’ क्योंकि कर्म संयोग और विभाग में कारण हैं। अत- कर्म से पृथक् गुण का निर्दोष लक्षण हो गया। अब कर्म का लक्षण कहते हैः-

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