सूत्र :सन्त्ययोनिजाः 4/2/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : उपरोक्त युक्ति और प्रमाणों से सिद्ध होता है कि बिना योनि अर्थात् बिना माता-पिता के उत्पन्न होने वाले देव ऋषियों के शरीर होते हैं उनके नाम वेद के अनूसार प्रत्येक सृष्टि के आरम्भ में यौगिक अर्थात् अग्नि, वायु आदित्य, अंगिरा, मनु और ब्रह्या आदि एक से रखे जाते हैं।