सूत्र :एतेन गुणत्वे भावे च सर्वेन्द्रियं ज्ञानं व्याख्यातम् इति प्रथम आह्निकः4/1/13
सूत्र संख्या :13
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ- रूप आदि पांच गुणों का आंख आदि एक-एक इन्द्रिय से ज्ञान होता है और संख्या आदि का दो-दो इन्द्रियों से, और सुख दुःख का मन से परन्तु भाव (होना) का ज्ञान प्रत्येक इन्द्रिय से हो जाता है, क्योंकि भाव और गुण का धर्म सामान्य है। और यह नियम जाति का भी ज्ञान हो सकता है। इसलिए जिन इन्द्रियों से गुणों का ज्ञान हो सकता है, उन्हीं इन्द्रियों से गुणों में रहने वाली जातित्व अर्थात् गुणपन का भी ज्ञान हो सकता है, यह परिणाम निकलता है।
पहला आह्निक समाप्त