सूत्र :अरू-पिष्वचाक्षुषाणि 4/1/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : संख्या आदि रूप वाले द्रव्यों में रहने की अवस्था में ही आंख से प्रतीत होती है। जब आत्मा आदि रूप रहित वस्तुओं की संख्या आदि जानना चाहें तो वह आंख से नहीं जानी जावेगी, आशय यह है कि जिस वस्तु में रूप है उसकी संख्या और पृथकता आदि आंख से जानी जावेगी। जिनमें रूप नहीं है उनकी संख्या आंख व त्वचा से नहीं जानी जाती।
प्रश्न- क्या रूप रहित वस्तु की संख्या आदि का ज्ञान किसी प्रकाश भी प्रत्यक्ष से नहीं हो सकता
उत्तर- सूत्रकार ने यह नहीं कहा कि प्रत्यक्ष नहीं किन्तु यह कहा है कि आंख और खाल से नहीं जाना जाता।