सूत्र :संदिग्धस्तूपचारः 3/2/16
सूत्र संख्या :16
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह बात निश्चयात्मक नही है कि देवदत्त जाता है इसमें उपचार है या मैं देवदत्त सुखी हूं या दुःखी हूं इसमें उपचार संदिग्ध दोनों अवस्थाओं में उपचार का निश्चय नहीं तो वह उपचार संदिग्ध है क्योंकि एक ही शरीर के लिए और बहुत से शब्दों का प्रयोग होता है, जिस प्रकार ‘‘मैं पतला हूं’’ गोरा हूं काला हूं आदि इसी प्रकार यह भी कहता है कि, ‘‘मैं दुःखी हूं, मैं सुखी हूं’’ ऐसा कहने से सन्देह उत्पन्न होता है कि उपचार किसको माना जावे?